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रामपुर। बारिश के दिनों में उफनाती नदियों, लबालब तालाबों और खनन से हुए गड्ढों में भरे पानी में डूबकर बच्चों समेत कई लोगों की मौत हो चुकी है। तालाब और गड्ढों में डूबे लोगों के शव मिल गए लेकिन, क्षेत्र में बहने वाली कोसी व रामगंगा नदियों में बहे कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनका पता नहीं चल पाया। ऐसे लोगों के परिजन आज भी अपनों की याद में नदियों के किनारे उन्हें तलाशते हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें ये उम्मीद है कि उनके अपने को शायद किसी ने बचा लिया हो और वो कभी लौट आए। तीन अगस्त को मुरादाबाद जिले के बिलारी थाना क्षेत्र के मनकुला गांव निवासी बॉबी (28) अपनी ससुराल तहसील क्षेत्र के दिव्यानगला गांव में आए हुए थे। वे अपने साले अजब सिंह के साथ बैलगाड़ी लेकर रामगंगा नदी से बालू निकालने चमरौल घाट गए थे। बालू निकालते समय बॉबी डूब गए। स्थानीय गोताखोरों और एनडीआरएफ की टीम ने 72 घंटे तक उनकी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। आज भी उनके ससुराल वाले और परिजन उनके लौटने की आस लगाए हैं।
28 अगस्त को शाहबाद के ढकुरिया गांव निवासी नासिर का बेटा आशकार (10) अपने चाचा के साथ मछली पकड़ने रामगंगा नदी के घाट पर गया था। पैस फिसलने से वह नदी में बह गया। काफी तलाश के बाद भी वह नहीं मिला। तीन सितंबर को क्षेत्र के बेरुआ गांव निवासी बुजुर्ग किसान मेहंदी (65) रामगंगा नदी के पार खेतों पर गए थे। लौटते समय बह गए। दो दिन एनडीआरएफ की टीम ने उनकी तलाश की लेकिन, सुराग नहीं लगा।
बीते साल नौ जून 2022 को मिलक कोतवाली क्षेत्र के ताजपुर निवासी रामगोपाल सागर का बेटा अंकुर सागर (12) गंगा दशहरा के पर्व पर स्नान करने के लिए मतवाली घाट पर आया। नहाते समय वह डूब गया। उसका आज तक पता नहीं चला। 14 जून को शहजादनगर क्षेत्र के लोधीपुर गांव निवासी तोताराम का बेटा कपिल (10) सैफनी क्षेत्र के रायपुर का मझरा गांव में अपने चचेरे मामा की शादी में आया था। शादी से एक दिन पहले ननिहाल में ही अन्य बच्चों के साथ रामगंगा में नहाने चला गया। नहाते समय कपिल डूब गया। उसका आज तक पता नहीं चला। आज भी इनके परिजन मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
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बीते कुछ समय में नदी, तालाब और गड्ढों में डूबने से हुई मौतें
कूप के भोजराज, घोसीपुरा के रईस, मथुरापुर के यशपाल (13), कूप के वैष्णवी (3) और अर्जुन (4), गदमर पट्टी के गोपाल, बमनपुरी के प्रेमपाल, चंदनपुर के निजाम अली, निस्बा के रोहित (10), ललवारा की फिजा (11), मतवाली के संजीव (15) और मनोज (16), बेरुआ का रवि, चंदनपुर के विक्की, बिचपुरी का तहसीम (11), बिचपुरी की लक्ष्मी (14), पूनम (15), केमरी की प्रीति (17), राकेश, जुनेद, शाहबाद के गदमर पट्टी गांव की अलीना उर्फ अल्शिफा (10), आकिल (14), गुलशन उर्फ गुलाफ्शां (11), चंचल (11) और सना (10) की नदी, तालाब व ईंट भट्ठों के गड्ढों में भरे पानी में डूबकर मौत हो चुकी है।
28 अगस्त को मेरा बेटा आशकार नदी में डूब गया था। हादसे की सूचना मिलते ही शाहबाद आ गया था। प्रशासन ने छह दिन बच्चे की तलाश की, लेकिन बेटे का पता नहीं चला। मेरी और मेरी बीवी की उम्मीद अभी नहीं टूटी है। काम निपटाने के बाद में रोज शाम को नदी किनारे जाकर बेटे की तलाश करता हूं। – नासिर
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10 सितंबर को मेरे पिता मेहंदी नदी में बह गए थे। एनडीआरएफ की टीमों ने भी उनकी काफी तलाश की, लेकिन पता नहीं चला। अभी भी अपने निजी संसाधनों से पिता की तलाश कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है शायद कहीं वो मिल जाएं। – जिलानी
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हाल ही में नदी में डूबे आशकार और मेहंदी की कई दिन तलाश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। लोगों से नदी, तालाबों के पास न जाने की अपील मंदिर और मस्जिद से लगातार करा रहे हैं। लोगों से अपील है कि वे अपने बच्चों को भी अकेले नदी किनारे न जाने दें।
– सुनील कुमार, एसडीएम, शाहबाद
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