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रामपुर। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार मॉदड़ ने फसलों के अवशेष जलाए जाने से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण की प्रभावी रोकथाम हेतु जनपद स्तरीय सेल, सचल दस्तों का गठन एवं ग्राम स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया है।
जनपद स्तरीय सेल का का अध्यक्ष अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) को बनाया गया है, जबकि तहसील स्तरीय सचल दस्ते का गठन उप जिलाधिकारी एवं क्षेत्राधिकारी (पुलिस) की अध्यक्षता में, ग्राम पंचायत स्तरीय निगरानी समिति का गठन ग्राम प्रधान एवं लेखपाल की अध्यक्षता में किया गया है। जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया है कि सचल दस्ते के अधिकारी नियमित क्षेत्र में भ्रमण कर यह सुनिश्चित करें कि कम्बाइन हारवेस्टर बिना सुपर स्ट्रा मैनेटमेन्ट सिस्टम के न चले। साथ ही कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी पंचायत विभाग के पंचायत सचिव एवं राजस्व विभाग के लेखपाल नियमित क्षेत्र में भ्रमण करेगें। जहाँ पराली जलाने की घटनाएं घटित होती है तो उनके विरुद्ध नियमानसार कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे। गठित टीमों द्वारा क्षेत्र में नियमित भ्रमण किया जा रहा है। उप कृषि निदेशक ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा जनपद के समस्त राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर वेस्ट डी-कम्पोजर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जिन किसानों को वेस्ट डी-कम्पोजर की आवश्यकता है वह अपने राजकीय कृषि बीज भण्डार से निःशुल्क प्राप्त कर सकते है।
अब तक बीस घटनाएं सामने आई, दस पर लगा 27500 रुपये जुर्माना
रामपुर। जनपद में पराली जलाने की कुल 20 घटनाएं प्रकाश में आई है जिनमें से 10 कृषकों से कुल 27500 रुपये का जुर्माना वसूला गया है साथ ही शेष मामलों का स्थलीय निरीक्षण कराकर जुर्माना लगाने की कार्यवाही की जा रही है।राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार शासन द्वारा फसल अवशेष जलाये जाने पर कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड 2500 रुपये प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड 5000 रुपये प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्र 05 एकड़ से अधिक होने की दशा में 15000 रुपये प्रति घटना दण्ड घोषित किया गया है। खेतों में अवशेष जलाने की लगातार 02 घटनाएं होने की दशा में सम्बन्धित कृषक को सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान आदि से वंचित कर दिए जाने के निर्देश राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली द्वारा दिए गए हैं।
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