[ad_1]
रामपुर। कारतूस कांड में दोषी करार दिए जाने के बाद सभी आरोपी मुंह छुपाकर कोर्ट से बाहर निकले। इस दौरान पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। इन सभी को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल ले जाया गया।कारतूस कांड में बृहस्पतिवार को फैसले की घड़ी थी। सुबह दस बजे के करीब सभी आरोपी कोर्ट पहुंच गए थे। चेहरे पर तनाव था और उनके चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई थीं। दोपहर करीब एक बजे कोर्ट ने सभी आरोपियों को कस्टडी में लेने के आदेश कर दिए और फिर उनको जेल भेजने का आदेश दिया। कोर्ट का आदेश सुनते ही आरोपी सकते में आ गए। पुुलिस उन्हें कोर्ट से कड़ी सुरक्षा के बीच बाहर लेकर निकली तो सभी आरोपियों ने अपने चेहरे कपड़ों से छुपा लिए थे। पुलिस उन्हें आनन-फानन में गाड़ी में बैठाकर जेल ले गई। मीडिया के कैमरों से बचने का यह लोग प्रयास करते हुए नजर आए।
::::::::::::::::::::::::
आरोपियों पर लगा था गैंगस्टर, चल रहा मुकदमा
रामपुर। कारतूस कांड के सभी आरोपियों पर पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की थी। इन सभी पर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित कर गैंग बनाकर अपराध करने का आरोप लगाया गया है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। पुलिस ने इस मामले में यशोदानंदन को गैंग लीडर बनाया है।
अभियोजन की टीम में यह रहे शामिल
जिला शासकीय अधिवक्ता अमित सक्सेना, सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य, अमित कुमार।
खुलासे के तीन साल बाद कोर्ट में शुरू हुई थी सुनवाई
रामपुर। 29 अप्रैल 2010 को कारतूस कांड का खुलासा हुआ था और उसके बाद पुलिस ने लंबी तफ्तीश की। तफ्तीश के बाद पुलिस ने मामले की चार्जशीट दाखिल की। इसके बाद 22 अगस्त 2013 को कोर्ट ने मामले को संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई शुरू की। पहला गवाह 22 अगस्त 2013 को हुआ था। आखरी गवाही 29 सितंबर 23 को बचाव पक्ष ने पेश करते गवाही बंद कर दी।
काम नहीं आई सहायक कमाडेंट की गवाही
रामपुर। बचाव पक्ष की ओर से सीआरपीएफ के सहायक कमाडेंट जेएन मिश्रा को पेश किया गया था। मिश्रा उस वक्त रामपुर में ही तैनात थे। मौजूदा वक्त में यह जम्मू कश्मीर में तैनात हैं।
-अभियोजन की ओर से केस को मजबूत तरीके से पेश किया गया था। नौ गवाहों को अभियोजन ने पेश किया और कोर्ट में सभी आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग रखी थी,जिसे कोर्ट ने मंजूर भी कर लिया है।
प्रताप सिंह मौर्य , एडीजीसी
[ad_2]
Source link