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रामपुर। कारतूस कांड के मुख्य आरोपी यशोदानंद से बरामद डायरी के आधार पर यूपी पुलिस व पीएसी और सीआरपीएफ के तमाम राज सामने आए थे। इस डायरी ने वर्दीधारियों की नींद उड़ा दी थी। हरकत में आई जांच एजेंसियों ने यूपी के सभी जिलों में मालखानों की चेकिंग कराई गई थी और कारतूस व हथियारों की गिनती तक कराई थी।यूपी के चर्चित कारतूस कांड के खुलासे में महज एक डायरी ने बहुत बड़ा रोल निभाया था। प्रयागराज निवासी पीएसी के रिटायर्ड दरोगा यशोदानंदन की गिरफ्तारी के वक्त उसके पास से एक लाल डायरी बरामद की गई थी,जिसमें उसने आरोपियों का पूरा चिट्ठा लिखा था। उसमें लिखा था किस आरोपी के बैंक खाते में कितना धन जमा किया था। उसी के आधार पर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और जांच एजेसियों ने विवेचना के दौरान पाया कि आरोपी और मुुख्य आरोपियों में टेलीफोन के जरिए संपर्क होता था,जिस पर पुलिस ने सभी 25 आरोपियों को आरोप साबित होने पर चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान हालांकि यशोदानंदन की मौत हो गई और कोर्ट ने उसके खिलाफ चल रही कार्रवाई को समाप्त कर दिया। लेकिन यशोदानंदन की लाल डायरी ने ही आरोपियों को सलाखों तक पहुंचाया। संवाद
रामपुर से नहीं बेल, हाईकोर्ट से मिली थी सभी को जमानत
रामपुुर। कारतूस कांड के सभी 25 आरोपियों को स्थानीय कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई थी। कोर्ट ने मुख्य आरोपी यशोदानंदन समेत सभी की जमानत खारिज कर दी थी,जिसके बाद सभी ने आरोपियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी,जहां से उनको जमानत मिल गई थी।
सपा शासन में केस वापसी की हुई थी कवायद, कोर्ट ने कियाा था इन्कार
रामपुर। समाजवादी पार्टी की सरकार में कारतूस कांड को वापस लेने की कवायद शुरू की थी। इसके लिए शासन की ओर से प्रशासन के माध्यम से पत्र भी जारी किया गया था,जिस पर अभियोजन पक्ष और कोर्ट ने आपत्ति जताई थी,जिसके बाद यह केस वापस नहीं हो सका था।
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