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रामपुर। जिला प्रशासन ने साठा धान (ग्रीष्म कालीन) की खेती पर रोक लगा दी है। इसको लेकर डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ ने आदेश जारी करते हुए अन्य फसलों को करने का सुझाव दिया है। यह निर्णय साठा धान की खेती के दौरान होने वाले अत्यधिक जल दोहन को लेकर लिया गया है। डीएम ने किसानों से साठा धान न करने की अपील की है।
कृषि विभाग के अनुसार जिले में 25 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्रतिवर्ष साठा धान की खेती की जाती है। साठा धान की खेती सवार्धिक बिलासपुर व स्वार क्षेत्र में होती है। डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ ने अपने आदेश में कहा है कि साठा धान की सीजन में बारिश नहीं होती है। इसके लिए भूमिगत जल का इस्तेमाल किया जाता है। कहा कि साठा धान के बदले में किसान मक्का, उड़द, मूंग, सूरजमुखी सहित अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं। डीएम ने आदेश का कड़ाई से पालन के लिए एसडीएम के नेतृत्व में तहसीलवार कमेटी का गठन किया है। कमेटी में सदस्य के रूप में संबंधित तहसीलदार, संबंधित उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी और जिला समन्वयक यूपी डास्प को शामिल किया गया है। गौरतलब कि इस वर्ष जनवरी में भी जिला प्रशासन साठा धान की खेती पर रोक लगा चुका है। बाद में किसान संगठनों की मांग पर इस रोक को हटा दिया था।
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अत्यधिक जल दोहन की वजह से जिले के चार ब्लॉक चमरौआ, सैदनगर, स्वार व शाहबाद डार्क जोन में पहुंच गए थे। जिला प्रशासन की ओर से जल संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयास से चारों ब्लॉक डार्क जोन से निकलकर सुरक्षित जोन में पहुंच गए। आदेशों में इसका जिक्र करते हुए डीएम ने कहा है कि अगर साठा धान की खेती की जा रही है तो फिर से भूमिगत जल का स्तर नीचे जा सकता है। इसलिए साठा धान की खेती से होने वाले नुकसान को देखते हुए जिले में इसकी खेती पर रोक लगाई जाती है।
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