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Rampur News: सांप ने डसा और अंधविश्वास ने मार डाला

Rampur News: सांप ने डसा और अंधविश्वास ने मार डाला

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रामपुर। सोमवार तड़के चार बजे शाहबाद क्षेत्र के चंद्रपुर कलां गांव निवासी परमल सैनी के दो साल के बेटे सौरभ को सांप ने डस लिया। परिजन उसे अस्पताल ले जाने के बजाय गांव में ही झाड़फूंक करने वाले एक व्यक्ति के पास ले गए और तीन घंटे तक झाड़फूंक कराते रहे। इसके बाद करीब साढ़े सात बजे उसे सीएचसी लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। अंधविश्वास के चक्कर में दो साल के बच्चे की जान चली गई।चंद्रपुर कलां गांव निवासी परमल सैनी किसान हैं। उनका बेटा सौरभ अपने माता-पिता के साथ सो रहा था। सोमवार तड़के चार बजे बच्चे के पैर में सांप ने डस लिया। बच्चे की चीख सुनकर परमल और उनकी पत्नी शकुंतला जागे तो कमरे में सांप रेंगता हुआ जा रहा था। बच्चे के पैर पर सर्पदंश के निशान थे। परिजन तुरंत बच्चे को गांव में ही झाड़फूंक करने वाले एक व्यक्ति के पास ले गए। करीब तीन घंटे बाद ग्राम प्रधान के भाई ने एसडीएम शाहबाद सुनील कुमार को मामले की जानकारी दी तब एसडीएम के कहने पर बच्चे के परिजन उसे सीएचसी ले गए, जहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। तब तक एसडीएम भी सीएचसी पहुंच गए।

झाड़फूंक के चक्कर में बच्चे की मौत पर एसडीएम ने नाराजगी जताई। साथ ही झाड़फूंक करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित किए जाने के बाद भी बच्चे के परिजन नहीं माने और उसे लेकर रामपुर में एक झाड़फूंक करने वाले के पास पहुंच गए। बाद में वहां से भी रोते हुए लौट आए। सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके चंदेल ने बताया कि अगर समय पर बच्चा सीएचसी आ जाता तो एंटी वेनम वैक्सीन देकर उसकी जान बचाई जा सकती थी।

गांवों में अंधविश्वास की ये है वजह

शाहबाद सीएचसी के चिकित्साधीक्षक डॉ. आरके चंदेल बताते हैं देश में 70 से 80 फीसदी सांप बिना जहर वाले होते हैं। ऐसे सांप जब किसी को डसते हैं और परिजन उन्हें किसी झाड़फूंक वाले के यहां ले जाते हैं तो जान बच जाती है। इससे गांवों में भ्रांति फैलती है कि झाड़फूंक वाले ने बचा लिया, जबकि असलियत में जान इसलिए बचती है कि डसने वाले सांप में जहर होता ही नहीं है। ऐसे में जब किसी व्यक्ति को जहरीले सांप ने डसा होता है और वो भी झाड़फूंक के चक्कर में पड़ जाता है तो उसकी जान चली जाती है। इसलिए कोई भी सांप काटे तो झाड़फूंक के चक्कर में पड़ने की बजाय सीधे अस्पताल लेकर पहुंचे।

इन लोगों की हुई मौत

शाहबाद क्षेत्र में बीते कुछ समय में समय से उपचार न मिलने पर सर्पदंश के शिकार कई लोगों की जान जा चुकी है। जिनमें चतरपुर निवासी तौहीद (13), बुद्धपुर गांव निवासी कोमिल सिंह, गोसमपुर गांव निवासी कल्लू व पटरिया गांव निवासी अनुभव शामिल हैं।

इनकी बच गई जान

बीते एक साल में सर्पदंश के शिकार कई लोग शाहबाद सीएचसी में समय से पहुंच गए तो उनकी जान बच गई। इनमें मंगलो गांव निवासी राजवती, भुड़ासी गांव निवासी रामचंद्र, बरेली के सिरौली निवासी धीरज, भुड़ासी गांव निवासी भूरे, ढकिया गांव निवासी अजय, ढकिया गांव निवासी सुधांशु (10), रेवड़ी कलां निवासी प्रेमिया और हिम्मतपुर गांव निवासी सत्यप्रकाश शामिल हैं।

समय से अस्पताल पहुंच गया किसान तो बच गई जान

संवाद न्यूज एजेंसी

शाहबाद। जिला बरेली के थाना सिरौली क्षेत्र के बिहारीपुर निवासी किसान सोबरन (24) रविवार शाम करीब पांच बजे अपने खेत पर काम कर रहे थे। तभी पैर में सांप ने डस लिया।

सूचना पर पहुंचे परिजन उसे शाहबाद क्षेत्र के एक गांव में झाड़फूंक करने वाले के यहां लेकर पहुंच गए। तब तक पीड़ित किसान के गांव निवासी शाहबाद सीएचसी में 102 एंबुलेंस पर तैनात ईएमटी हरकेश को इसकी जानकारी मिली। हरकेश ने तुरंत सोबरन को सीएचसी लाने को कहा। जिसके बाद परिजन पीड़ित किसान को लेकर शाहबाद सीएचसी पहुंच गए। चिकित्सकों ने समय पर किसान को एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन दे दी, जिससे किसान की जान बच गई। अब सोबरन पूरी तरह स्वस्थ हैं। ईएमटी हरकेश ने कहा कि अगर देर जाती तो किसान की जान पर बन आती।

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सर्पदंश से मौत पर पीड़ित परिवार को मिलते हैं चार लाख रुपये

एसडीएम सुनील कुमार ने बताया कि सर्पदंश से मौत राज्य आपदा के तहत आती है। इसलिए पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है, लेकिन इसके लिए मृतक का पोस्टमार्टम होना जरूरी होता है। इसके लिए बाद राजस्व प्रशासन की ओर से लेखपाल को भेजकर जांच कराई जाती है। मुआवजे की पूरी प्रक्रिया लेखपाल द्वारा पूरी की जाती है। उसके बाद मृतक के परिजन के खाते में चार लाख रुपये भेजे जाते हैं।

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झोलाझाप की तरह झाड़फूंक वालों की दुकानें, नहीं होती कार्रवाई

गांवों में जहां एक तरफ हर बीमारी का इलाज करने वाले झोलाछाप हैं तो वहीं सांप या अन्य किसी जहरीले कीड़े के काटने पर झाड़फूंक करने वाले भी कम नहीं है। गांव के लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर इन लोगों के पास पहुंच जाते हैं और झाड़फूंक में घंटों निकल जाते हैं। इसके चलते सर्पदंश के शिकार लोगों की जान चली जाती है। प्रशासन को झोलाछाप की तरह झाड़फूंक करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए।

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सर्प दंश का इनसेट

सांप डसे तो क्या करें और क्या न करें

जिला अस्पताल सीएमएस डॉ. एचके मित्रा और जनरल फिजीशियन डॉ. डीके वर्मा के अनुसार अधिकतर मामलों में सांप पैर के अंगूठे या ऊपरी हिस्से पर डसते हैं, इसलिए इनके जहर का प्रभाव व्यक्ति के शरीर में धीरे-धीरे होता है। ऐसे में मरीज को एक घंटे क अंदर निकट के स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। वहां पर एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) इंजेक्शन लगाकर मरीज की जान बचाई जा सकती है। डॉक्टरों ने बताया कि सांप के डसने पर झाड़फूंक के चक्कर में बिल्कुल न पड़ें। जहां सांप ने डसा है उस हिस्से पर कोई हरकत न करें और न ही रस्सी बांधें। इस ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है, तब स्थिति और ज्यादा खतरनाक होती है। बस वहां पर निशान लगा दें। चीरा लगाकर खून निकालने का भी प्रयास न करें। प्रभावित अंग को हिलाएं-डुलाएं नहीं, इससे ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। पीड़ित को चलने बिल्कुल न दें।

हर सीएचसी-पीएचसी पर उपलब्ध हैं एएसवी इंजेक्शन

सीएमओ डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) वैक्सीन हर सीएचसी और पीएचसी पर उपलब्ध हैं। ऐसे में अगर किसी को सांप डसता है तो वह झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़कर तत्काल नजदीक की पीएचसी, सीएचसी अथवा जिला अस्पताल आकर इलाज कराएं। उनकी जान बच सकती है।

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