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रामपुर। भारतीय जनता पार्टी के नए जिलाध्यक्ष हंसराज पप्पू के लिए पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को एक साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि भाजपा में ज्यादातर नेताओं के बीच आपसी दूरी बनी हुई है। इस दूरी को कैसे पाट पाने में पप्पू कितने कामयाब हो पाएंगे ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन उनकी राह काफी मुश्किल भरी साबित होने जा रही है।भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए पहली दफा रामपुर में दलित कार्ड खेलते हुए जिला पंचायत सदस्य हंसराज पप्पू को जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया है। यह पहला मौका है जब दलित समाज का जिलाध्यक्ष बनाया गया है। जिलाध्यक्ष बनने के बाद हंसराज पप्पू के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को एक साथ लेकर चलने की चुनौती होगी क्योंकि भाजपा में अक्सर कार्यकर्ताओं की यह शिकायत रहती है कि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है।
यह स्थिति तब है जब भाजपा के पास विधायक की तीन सीटे हैं और एक सांसद सीट भी कब्जे में है। इन नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करने के साथ ही भाजपा के बड़े नेताओं को साथ लेकर चलना भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। भाजपा की जिला कार्यकारिणी में सभी वर्ग के कार्यकर्ताओं के चेहरों को शामिल करना भी उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगी। यदि इस चुनौती को वह पार कर पाते हैं तभी भाजपा का 2024 का लक्ष्य भी पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
जिलाध्यक्ष की बिगड़ी तबीयत
नव नियुक्त भाजपा जिलाध्यक्ष हंसराज पप्पू की तबीयत बिगड़ गई है। उनके बेटे शुभम ने बताया कि उनकी तबीयत दो दिन से खराब चल रही थी, लेकिन शुक्रवार रात से तबियत अचानक खराब हो गई है। उनकी प्लेटलेट्स गिर गई हैं। उनको ड्रिप चढाई जा रही है।
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