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![RBI: दिसंबर तक सताएगी ऊंची महंगाई, जनवरी से राहत की उम्मीद; अगले साल जुलाई से ब्याज दरें कम होने की उम्मीद High inflation will haunt till December Interest rates expected to come down from July next year RBI](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2022/09/26/750x506/mahagaii_1664165177.jpeg?w=414&dpr=1.0)
महंगाई
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
सब्जियों, खासकर टमाटर की कीमतों में आई जबरदस्त तेजी ने महंगाई को फिर बेकाबू कर दिया है। लोगों को अब दिसंबर तक ऊंची महंगाई का सामना करना पड़ेगा। जनवरी के बाद इसमें कमी आने की उम्मीद है। यह आरबीआई के 6% से बाहर हो गई है। बार्कले के भारत में मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा, हमारा अनुमान है कि खुदरा महंगाई दर कुछ माह तक ऊंची बनी रहेगी। चौथी तिमाही यानी जनवरी के बाद इसमें राहत मिल सकती है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को कहा, ऊंची महंगाई के चलते अब भारतीय रिजर्व बैंक दरों में कटौती की योजना को आगे बढ़ा सकता है। हमारा अनुमान है कि अब अगले साल जुलाई के बाद ही दरों में कटौती हो सकती है। उस समय 0.75 फीसदी तक की कटौती की उम्मीद है।
आरबीआई ने पिछली तीन बार से दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई का महंगाई का लक्ष्य चार फीसदी है लेकिन इसमें दो फीसदी ऊपर या नीचे भी उसके लक्ष्य के तहत है। इक्रा ने कहा कि महंगाई दो तिमाहियों तक 6% से ऊपर रहती है तो आरबीआई दरों में बढ़ोतरी भी कर सकता है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, अगस्त में खुदरा महंगाई 6.5% रह सकती है। अगर महंगाई में से सब्जियों को हटा दें तो यह 5.4% पर रह सकती है।
तो 8.5 फीसदी पर पहुंच जाती मुद्रास्फीति
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, अगर वनस्पति तेल और वसा को इस महंगाई से निकाल दें तो खुदरा महंगाई 8.5% पर पहुंच जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी वृद्धि दर -16.9% है। पर्सनल केयर उत्पादों, घरेलू सामानों, शिक्षा और कपड़ों के साथ जूता एवं चप्पल ने भी महंगाई बढ़ाने में योगदान दिया है।
सालाना आधार पर घटी, जून की तुलना में बढ़ी थोक मुद्रास्फीति
खाद्य पदार्थों खासकर सब्जियों के दाम बढ़ने के बीच थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई जुलाई में (-)1.36% रही। थोक महंगाई अप्रैल से लगातार चौथे महीने शून्य से नीचे रही है। पिछले साल जुलाई में यह 14.07% थी। इस साल जून में यह (-) 4.12% थी जिसकी तुलना में इसमें 2.76% की वृद्धि हुई है।
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, जुलाई में महंगाई दर में कमी मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण आई। जुलाई में खाद्य पदार्थों की महंगाई 14.25% रही। जून में 1.32% थी। हालांकि, जून की तुलना में इसमें वृद्धि इसलिए आई है, क्योंकि खाद्य पदार्थों में सब्जियों के भाव में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। जुलाई में सब्जियों की थोक महंगाई दर 62.12 फीसदी पर रही। जुलाई 2022 में ये आंकड़ा 18.46% पर रहा था।
ईंधन और बिजली की महंगाई जुलाई में (-)12.79% रही, जो जून में (-)12.63 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों की महंगाई मई में (-) 2.51 प्रतिशत रही। जून में यह (-) 2.71% थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लगातार तीसरी बार रेपो दर को जस का तस 6.5 प्रतिशत पर पिछले सप्ताह बरकरार रखा था।
12 राज्यों में औसत से ज्यादा महंगाई
22 राज्यों में से 12 राज्यों में औसत से ज्यादा महंगाई रही है। सबसे अधिक 9.7 फीसदी राजस्थान में रही है।
मासिक आधार पर इनकी बढ़ीं कीमतें
प्राथमिक सामान
-2.87% से बढ़कर 7.57%
विनिर्मित उत्पाद
-2.71% से बढ़कर -2.51%
खाद्य महंगाई दर
-1.24% से बढ़कर 7.75%
एक साल में ऐसे बढ़े वस्तुओं के थोक भाव
वस्तु अगस्त, 2023 अगस्त, 2022
चावल 3,662 3,241
गेहूं 2,657 2,483
आटा 3,097 2,808
अरहर दाल 12,641 9,864
उड़द दाल 10,380 9,605
टमाटर 9,479 2,643
(थोक भाव प्रति क्विंटल रुपये में) सोर्स : उपभोक्ता मंत्रालय
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