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![SC: 'जातीय जनगणना के खिलाफ जब तक पुख्ता आधार नहीं, तब तक रोक नहीं', सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी No Stay on Bihar Caste Survey Unless Prima Facie Case Is Made Says Supreme Court](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/03/17/750x506/supreme-court_1679051287.jpeg?w=414&dpr=1.0)
सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। सोमवार को पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ताओं की ओर से इस प्रक्रिया के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई पुख्ता आधार सामने नहीं लाया जाता, इस पर रोक नहीं लगाई जाएगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जातीय जनगणना की प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे दी थी।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सात दिन के भीतर इस मामले पर अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दे दी। मेहता ने पीठ से कहा, हम इस पक्ष या उस पक्ष की ओर नहीं हैं, लेकिन इस प्रक्रिया के कुछ नतीजे हो सकते हैं और इसलिए हम अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं। हालांकि, मेहता ने जातीय जनगणना के संभावित परिणामों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया।
हाईकोर्ट के एक अगस्त के फैसले के खिलाफ विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और लोगों की ओर से सर्वोच्च अदालत में याचिकाएं दायर की गई हैं। पीठ ने मेहता के अनुरोध पर सुनवाई 28 अगस्त तक स्थगित कर दी। इससे पहले, एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से अनुरोध किया कि वह राज्य सरकार को डाटा प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दे।
पीठ ने यह की टिप्पणी
पीठ ने कहा, इसमें दो चीजें हैं। एक डाटा संग्रह करना, जो काम पूरा हो चुका है और दूसरा सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए डाटा का विश्लेषण करना। दूसरा भाग अधिक कठिन एवं समस्याग्रस्त है। जब तक आप (याचिकाकर्ता) इस प्रक्रिया के खिलाफ प्राथमिक तौर पर मामला बनाने में सक्षम नहीं हो जाते, हम कुछ भी रोकने वाले नहीं हैं।
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