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![Security: पड़ोसी देशों से सामान खरीदने में नहीं चलेगी राज्य की मनमर्जी, फर्म को लेनी पड़ेगी MEA-MHA से मंजूरी state will not be allowed to buy goods from neighboring countries firm will have to take approval from MEA-MHA](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/09/15/national-security_1694784122.jpeg?w=414&dpr=1.0)
National Security
– फोटो : Amar Ujala
विस्तार
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के ‘प्रोक्योरमेंट पॉलिसी डिविजन’ ने अब सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भारत की सीमा से लगते देशों के साथ किसी सामान की खरीददारी के लिए कुछ शर्तें लगाई हैं। पहले इसी तरह का आदेश विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के लिए भी जारी किया गया था। इसके बाद मार्च 2023 में सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए भी वही आदेश आया था। अब 11 सितंबर को भी वित्त मंत्रालय द्वारा दोबारा से सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए वही आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार या केंद्रशासित प्रदेश, भारत की सीमा से लगते राष्ट्रों के साथ मनमर्जी से कोई खरीददारी नहीं कर सकते। उसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार देखा जाएगा। ऐसे उपकरणों की सूची जारी की गई है, जिसकी खरीद के लिए संबंधित कंपनी को विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय की इजाजत लेनी होगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा और डिफेंस को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने सेंसेटिव सेक्टर की पहचान की है। अगर इन सेक्टर से जुड़ा कोई सामान खरीदना है तो उसके लिए संबंधित फर्म को इजाजत लेनी होगी। सेंसेटिव सेक्टर में एटोमिक एनर्जी, ब्रॉडकास्टिंग (प्रिंट/डिजिटल मीडिया), डिफेंस, टेलीकम्युनिकेशन, स्पेस, पावर एंड एनर्जी, बैंकिंग, फाइनेंस व इंश्योरेंस, सिविल एविएशन, पोर्ट एंड डैम निर्माण, रिवर वैली प्रोजेक्ट, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स, मेट्रोलोजी एंड ओसिएन आब्जर्वेशन, माइनिंग एंड एक्ट्रेक्शन, रेलवे, फार्मास्युटिकल एंड मेडिकल डिवाइस, एग्रीकल्चर, हेल्थ, अर्बन ट्रांसपोर्ट, ऐडिटिव मेनुफेक्चरिंग, केमिकल टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर आदि शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने पहले 2020 में भी एक आदेश जारी किया था। उसके बाद 23 फरवरी 2023 को दूसरा आदेश दिया गया। इसमें कुछ बदलाव किया गया था। अब उन्हें हटाकर पब्लिक प्रोक्योरमेंट आर्डर दिया गया। केंद्र ने वह आदेश सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों को भेजा था। सभी तरह के नियमों का पालन करने के बाद डिफेंस खरीद के लिए अगर किसी भारतीय फर्म को आर्डर दिया है तो वह किसी दूसरे फर्म को उक्त आर्डर सबलेट नहीं कर सकती। उसी कंपनी को सौदा पूरा करना होगा। कोई भी राज्य, अगर प्राइवेट फर्म के माध्यम से खरीद कर रही है तो उसे विदेश एवं गृह मंत्रालय से क्लीयरेंस लेनी होगी। जीएफआर 144 (11) में कहा गया है कि जिस देश का जमीनी बॉर्डर भारत के साथ लगता है और किसी राज्य को उसके साथ कोई खरीददारी करनी है, तो संबंधित फर्म का उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के पास रजिस्ट्रेशन होना जरुरी है।
इससे पहले संबंधित फर्म को विदेश मंत्रालय की पॉलिटिकल क्लीयरेंस लेनी होगी। उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय, सुरक्षा क्लीयरेंस देगा। उस दौरान यह देखा जाएगा कि जो प्रोडेक्ट खरीदा जा रहा है, क्या वह डिफेंस और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा नहीं है। किसी भी फर्म का रजिस्ट्रेशन बिना कोई कारण बताए रिजेक्ट किया जा सकता है। भारत सरकार के इस कदम का असर, चीन पर पड़ सकता है। देश की रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मामलों में राज्य सरकारों की अहम भूमिका है। इसके मद्देनजर, भारत सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा की जाने वाली खरीद पर कुछ शर्तें लगाई हैं। यह आदेश, संविधान के अनुच्छेद 257 (1) का उपयोग करते हुए जारी किए गए हैं।
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