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अपराजिता में खिलाड़ी
– फोटो : अमर उजाला
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खिलाड़ियों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम में खेल संसाधनों का अभाव है। मैदान, प्रशिक्षक और उपकरण हों, तो खिलाड़ियों की खेप तैयार हो सकती है। किसी भी खेल और खिलाड़ी बढ़ाने के लिए शाासन-प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। केवल पदक जीतने वाले खिलाड़ी का नहीं, बल्कि जब व अपनी शुरुआत करे तो उसकी मदद उस समय होनी चाहिए।
कई प्रतिभावान खिलाड़ी आर्थिक अभाव में खेल छोड़ देते हैं। अगर खेलें तो जिले, प्रदेश और देश के लिए पदक जीत सकते हैं। ये बातें सोमवार को अमर उजाला अपराजिता के तहत तालानगरी स्थित अमर उजाला कार्यालय में राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में संवाद कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि बेहतरीन खिलाड़ी बनाने के लिए सरकार की इच्छा शक्ति होनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी शालिनी चौहान ने कहा कि सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थाओं में खेल कोटा और बढ़ना चाहिए। निजी नौकरियों में भी खेल कोटा होना चाहिए। जब खिलाड़ी खेल से विराम ले, तो उसके लिए नौकरी की व्यवस्था होनी चाहिए। एएमयू में और खेल की सुविधा बढ़नी चाहिए। उन्होंने कुछ खेल के लिए प्रस्ताव भी दिए हैं, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हो सका है। ताइक्वांडो, मार्शल आर्ट्स, जूडो खेल होने से बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखने को मौका मिलेगा। साई के खेल सेंटर खुलने चाहिए, ताकि खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सके।
एएमयू सीनियर सेकेंडरी स्कूल (गर्ल्स) की व्यायाम शिक्षिका अफ्शां उबैद ने कहा कि खिलाड़ियों को सुविधाएं मिलनी चाहिए। मैदान, प्रशिक्षक और उपकरण मिल जाएं, तो बेहतर खिलाड़ी निकलेंगे। खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन के लिए एसोसिएशन के लोगों को आगे आना होगा। खेलो इंडिया का मकसद केवल युवाओं को फिट रखना और खेल के प्रति जागरूक करना है। खेल में महिलाएं ज्यादा पदक जीत रही हैं। घर से उन्हें सहयोग मिलना शुरू हो गया है। भारोत्तोलन खिलाड़ी मोनिशा ने कहा कि उनकी आदर्श मीराबाई चानू हैं। खिलाड़ियों को संतुलित आहार मिलना चाहिए। अगर आर्थिक मदद मिल जाए, तो स्टेडियम से बेहतर खिलाड़ी निकलने की संभावना बढ़ जाएगी। मुक्केबाज कल्पना ने कहा कि स्पोर्ट्स स्टेडियम में सहूलियतें बढ़नी चाहिए। बॉक्सिंग रिंग को बेहतर बनाना होगा।
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