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![Supreme Court: अदालती फैसलों में अब छेड़छाड़-वेश्या जैसे शब्दों की जगह इनका इस्तेमाल; जानें इसके पीछे की वजह Supreme Court launches handbook on gender unjust terms, know all about it](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/04/25/750x506/saparama-karata_1682428484.jpeg?w=414&dpr=1.0)
सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : सोशल मीडिया
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सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत शीर्ष कोर्ट ने एक हैंडबुक लॉन्च की है। यह हैंडबुक न्यायाधीशों को अदालती आदेशों और कानूनी दस्तावेजों में अनुचित लिंग शब्दों के इस्तेमाल से बचने में मार्गदर्शन करेगी।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा लॉन्च इस हैंडबुक में लैंगिक रूढिवादिता प्रदर्शित करने वाले शब्दों की शब्दावली है। इसमें इनकी जगह पर वैकल्पिक शब्द और वाक्यांश सुझाए गए हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को बताया कि यह हैंडबुल विभिन्न निर्णयों में अदालतों द्वारा अनजाने में इस्तेमाल की जाने वाली रूढ़िवादिता की पहचान करती है। उन्होंने कहा कि हैंडबुक जारी करने का उद्देश्य न्यायाधीशों को महिलाओं के प्रति रूढ़िवादिता से बचने में मदद करना है। हैंडबुक में लैंगिक रूढ़िवादिता वाले शब्दों के बदले वैकल्पिक शब्दों के इस्तेमाल के लिए सुझाव दिए गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि निर्णयों को केवल यह सुनिश्चित करने के लिए उजागर किया गया है कि भविष्य में न्यायाधीश ऐसे शब्दों का उपयोग करने से बचें और ऐसे निर्णयों को लिखने वाले न्यायाधीशों पर कोई आक्षेप न लगाया जाए। सीजेआई ने बताया कि यह हैंडबुक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।
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