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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Pixabay
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गो जनित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार बड़ी तैयारी करने जा रही है। यदि सब ठीक रहा तो जल्द ही प्रदेश की सभी सरकारी इमारतें गोवंश के गोबर से बने पेंट से चमचमाएंगी। इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। कई जिलों में महिलाओं ने गोवंश से पेंट बनाना शुरू कर दिया है। पशुपालन विभाग तैयारी कर रहा है कि इसके लिए लोगों को प्रशिक्षण दिलवाया जाए ताकि सभी जिलों में यह पेंट बन सके।
इस समय छुट्टा गोवंश के लिए सरकार गंभीरता से काम कर रही है। इनके लिए गो आश्रय स्थल भी बनाए गए हैं, जिनमें 11 लाख से ज्यादा पशुओं को रखा गया है। साथ ही गोवंश के जरिये ऐसे उत्पाद तैयार करने की कवायद की जा रही है, जिससे आय हो सके। गाय के गोबर से पेंट का उत्पादन इसी कड़ी का हिस्सा है। बदायूं और प्रतापगढ़ में गो संरक्षण केंद्र में यह काम शुरू हुआ, जिसके बाद अब कई जिलों में इस पर काम हो रहा है।
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उधर, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने इस बाबत प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। पशुपालन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय ने इन जिलों में जाकर इसका अध्ययन किया है और पूरी रिपोर्ट सौंपी है। तैयारी यह है कि वृहद स्तर पर यह काम शुरू किया जाए। इसके बाद यह व्यवस्था की जाएगी कि सभी सरकारी भवनों में इसी गोबर से बने पेंट का प्रयोग होगा। इस निर्णय से प्रदेश भर के गोबर से पेंट बनाने वाले समूहों को बढ़ावा मिलेगा।
सस्ता भी है और अच्छा भी
यह पेंट अन्य कंपनियों की तुलना में काफी सस्ता होता है। जहां अन्य पेंट का औसत मूल्य 400 से 500 रुपये प्रति लीटर है, वहीं इसका मूल्य लगभग 200 रुपये प्रति लीटर है। साथ ही यह टिकाऊ भी है। इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। यह इको फेडली, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, नेचुरल थर्मल इंसुलेटर है। पेंट बनाने के लिए ज्यादा मात्रा में गोबर की आवश्यकता नहीं है। 50 किलो गोबर से 100 लीटर पेंट तैयार हो रहा है।
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