[ad_1]
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के शहर में शहनाई बेसाज हो गई है। एक तरफ उस्तादों की चौखट शार्गिदों से खाली है तो कार्यशाला में गिनती के बच्चे शहनाई सीखने आ रहे हैं। इस कारण साज तक बदलने पड़ रहे हैं। शहनाई की जगह तबला और कथक में 30-30 बच्चे मिल गए।
स्पिक मैके की तरफ से पीएन इंटर कॉलेज और संत अतुलानंद में शहनाई की कार्यशाला आयोजित की गई थी। सबसे पहले शहनाई के लिए बच्चे तलाशे गए, लेकिन कोई इच्छा से आगे नहीं आया। ऐसे में आयोजकों ने चार बच्चों को ढूंढा और शहनाई सिखाने लगे। शहनाई की कार्यशाला किसी तरह से पूरी की गई। इससे आयोजक भी निराश हैं।
काशी में शहनाई के सुर अब गुमनाम
स्पिक मैके की प्रदेश कोषाध्यक्ष डॉ शुभा सक्सेना का कहना है कि शहनाई के शहर में शहनाई की ये हालत चिंताजनक है। यही हाल रहा तो अगली कार्यशाला से शहनाई को हटाया भी जा सकता है। शहनाई के उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के जाने के बाद काशी में शहनाई के सुर अब गुमनाम हो गए हैं। शहनाई बजाने वालों को तो अब तो शादी-विवाह में भी नहीं बुलाया जाता है। अब गिने चुने कलाकार ही बचे हैं। समय रहते अगर शहनाई को सहेजा नहीं गया तो यह वाद्ययंत्र आने वाले समय में लुप्त भी हो सकता है। शहनाई वादक दुर्गा प्रसन्ना का कहना है कि नई पीढ़ी में तो कोई शहनाई सीख ही नहीं रहा है।
ये भी पढ़ें: वाराणसी में स्थापित होगी यूपी की सबसे ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा, जगह-जगह पंडाल का निर्माण शुरू
[ad_2]
Source link