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वैश्विक स्तर पर मस्तिष्क से संबंधित रोगों के बढ़ते जोखिम को कम करने और इसकी बीमारियों से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 22 जुलाई के वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया जाता है। इस क्रम में इस साल का थीम है- ब्रेन हेल्थ एंड डिसेबिलिटी, लीव नो वन बिहाइंड।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, ब्रेन से संबंधित जो बीमारी सबसे ज्यादा चर्चा में रहती है वह है- ब्रेन ट्यूमर। हालांकि ज्यादातर लोगों को इस रोग के बारे में सही जानकारी नहीं है। गलत जानकारियां रोग के समय पर निदान और इलाज में बाधा बन सकती हैं। आइए ब्रेन ट्यूमर से जुड़ी ऐसी ही कुछ अफवाहों के बारे में जानते हैं।
मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल को कई प्रकार की बीमारियों को बढ़ाने वाला माना जाता है। अक्सर लोग तर्क देते हैं कि मोबाइल फोन से ब्रेन ट्यूमर की आशंका भी बढ़ जाती है, हालांकि नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो इसकी पुष्टि करता हो।
लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जरूर पड़ सकता है, पर इससे ब्रेन ट्यूमर होने का जोखिम नहीं होता है।
डायबिटीज और हृदय रोग जैसी समस्याओं की तरह ही अक्सर ब्रेन ट्यूमर के भी आनुवांशिक जोखिमों को लेकर आशंका जताई जाती रही है। हालांकि इसको भी प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कई प्रकार के पर्यावरणीय या जीवनशैली के कारक ब्रेन ट्यूमर के मुख्य कारण हैं। यह माता-पिता से बच्चों में पास होता हो इसके सबूत बहुत कम या न के बराबर हैं।
अगर आपको लगता है कि ब्रेन ट्यूमर की समस्या सिर्फ उम्रदराज लोगों को होती है तो यह गलत जानकारी आपको भ्रमित कर सकती है। ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी बीमारी है जो बच्चों और वयस्कों दोनों में हो सकती है। निदान किए गए सभी ब्रेन ट्यूमर के मामलों में से लगभग 3.9 प्रतिशत मामले 0-14 वर्ष की आयु के बच्चों में होते हैं। इसलिए सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों को समझना और जल्द से जल्द इलाज प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
ज्यादातर लोगों का मानना है कि ब्रेन ट्यूमर, कैंसरकारक होते हैं, पर यह पूरा सच नहीं है। ब्रेन ट्यूमर कैंसरयुक्त और गैर-कैंसरयुक्त दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, केवल एक-तिहाई ब्रेन ट्यूमर ही कैंसर का रूप लेते हैं। यदि समय पर निदान हो जाए, तो उचित उपचार से ब्रेन ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि अगर आपमें इससे संबंधित लक्षण दिख रहे हैं तो समय पर इसकी पहचान कर इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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