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![Yamuna Flood Delhi : मुख्य सचिव ने कहा- बुनियादी ढांचा ऐसे हालात से निपटने लायक नहीं, सुधारी जाएगी व्यवस्था Flood Delhi: Chief Secretary said- infrastructure is not capable of dealing with such situation](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/07/14/750x506/delhi-flood-news_1689313684.jpeg?w=414&dpr=1.0)
Delhi Flood News
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुख्य सचिव नरेश कुमार ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में बाढ़ के दौरान किए गए कार्यों का ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि राजधानी में बाढ़ के लिए तैयार किया गया बुनियादी ढांचा यमुना के मौजूदा जलस्तर से पैदा चुनौतियों से निपटने लायक नहीं है। बैराज, बांध व रेगुलेटर समेत दूसरी संरचनाएं 207.49 मीटर तक के जलस्तर के लिए ही हैं, जबकि इस बार यमुना इससे 1.17 मीटर ऊपर यानी 208.66 मीटर तक पहुंच गई। ऐसे में दिल्ली सरकार की तैयारियां ढह गईं। एक रेगुलेटर टूटा, बैराज के गेट जाम हुए, बांधों से जगह-जगह पानी का रिसाव हुआ और रिंग रोड व सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। बाढ़ उतरने के बाद पूरी व्यवस्था की समीक्षा होगी। इसके आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।
मुख्य सचिव ने माना कि दिल्ली का बुनियादी ढांचा मौजूदा बाढ़ के दबाव को सह नहीं पाया। इसी वजह से बाढ़ का पानी शहर में घुस गया और लोगों को परेशानी हुई। उन्होंने कहा कि अभी इस पर ज्यादा चर्चा करने की जगह प्रशासन की प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है। साथ ही, उनकी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश भी है। हालात सामान्य होने के बाद समीक्षा की जाएगी कि भविष्य में यदि यमुना इस तरह के संकट पैदा करती है तो उसकी तैयारी कैसी हो। रणनीति दीर्घकालिक होगी।
दिल्ली में यमुना के 44 किमी लंबे बहाव क्षेत्र का सारा सिस्टम अपग्रेड होगा। इसके लिए जरूरी हुआ तो बजट में भी बढ़ोत्तरी होगी। अभी हमारे अधिकारी सीमित संसाधन में बेहतर काम कर रहे हैं। अधिकारियों के बीच अच्छा तालमेल है। यमुना बाजार में स्थिति बिगड़ने पर सुबह तीन बजे डीएम, डीसीपी, एसएचओ सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचकर व्यवस्था में जुट गए थे। 1978 और आज के समय में काफी बदलाव आया है। तकनीक में सुधार हुआ है। अधिकारी भी बढ़े हैं। हमें इसमें और सुधार करना है।
ड्रेनज सिस्टम में सुधार की जरूरत : मंत्री सौरभ भारद्वाज के एनडीआरएफ बुलाने के आदेश की अवहेलना करने के आरोप का कोई जवाब देने की जगह मुख्य सचिव ने सिर्फ इतना कहा कि पूरी नौकरशाही को सिर्फ काम करना है, जबकि मंडलायुक्त अश्विनी कुमार ने कहा कि मंत्री का बयान राजनीतिक है। इंद्रप्रस्थ में बृहस्पतिवार रात नौ बजे वे खुद गए थे। उस समय की स्थिति के आकलन के बाद एनडीआरएफ को बुलाने की जरूरत महसूस नहीं की गई, क्योंकि एनडीआरएफ विपदा में फंसे लोगों को बचाती है। शुक्रवार सुबह के हालात को देखते हुए सेना समेत सभी एजेंसियों को बुला लिया गया था। ड्रेनेज सिस्टम पर अश्विनी कुमार ने कहा कि इसमें बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है। हमें देखना है कि क्या पूरे ड्रेनेज सिस्टम के रखरखाव को एक किया जा सकता है। क्या इस काम को एक संस्था को दिया जाए।
23 हजार लोगों को निकाला
नरेश कुमार ने कहा कि टेंट में लोगों को बेहतर सुविधाएं नहीं दी जा सकतीं। यही कारण है कि उनके लिए सरकारी पक्के भवनों में व्यवस्था की जा रही है। अभी तक 23 हजार लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। अभी शौचालय व अन्य की व्यवस्था कावड़ियों के लिए लगी हुई है।
दो जिलों के लोगों ने किया परेशान
मंडलायुक्त अश्विनी कुमार ने कहा कि दिल्ली के नार्थ-ईस्ट और साउथ ईस्ट जिले में प्रशासन लोगों को बाढ़ से निकालकर बाहर लाता है और वह मौका मिलने पर फिर से वहीं पहुंच जाते हैं। इन लोगों को कई बार बाहर निकाला गया, लेकिन वे बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि यमुना के बाढ़ क्षेत्र में फिर से अतिक्रमण न हो। अतिक्रमण के कारण यमुना के बहाव में बदलाव आता है।
सौरभ भारद्वाज ने एलजी को पत्र लिख मुख्य सचिव सहित अन्य पर कार्रवाई के लिए कहा
बाढ़ पर उपराज्यपाल व चुनी हुई सरकार के बीच चल रही सियासी जंग में अब नौकरशाह भी उतर गए हैं। मंत्री की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों पर मुख्य सचिव समेत शीर्षस्थ नौकरशाह मीडिया के सामने आए और राजनीतिक बयानबाजी से बचते हुए बाढ़ के दौरान निभाई गई भूमिका की जानकारी दी। बिना किसी तरह के तंज कसे बताया कि बाढ़ के दौरान पूरी टीम सक्रिय भूमिका में रही। बाढ़ से बचाव के लिए हर कदम पर तालमेल के साथ काम किया।
हालांकि, इसके बाद मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर मुख्य सचिव नरेश कुमार, मंडलायुक्त अश्विनी कुमार और सिंचाई एवं बाढ़ सचिव आशीष कुंद्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने ये भी कहा है कि जानबूझकर दिल्ली सरकार के दो मंत्रियों सौरभ भारद्वाज और आतिशी के निर्देशों की ये अधिकारी अनदेखी कर रहे हैं। उधर, मंत्री आतिशी ने भी अधिकारियों पर आरोप लगाया कि रेवेन्यू विभाग का साथ सरकार को नहीं मिल रहा है। अधिकारी सरकार के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं।
सचिव स्तर की बनाईं 33 टीमें
मुख्य सचिव नरेश कुमार के आदेश पर दिल्ली में सचिव स्तर के अधिकारियों की अध्यक्षता में 33 टीमें बनाई गईं हैं। यह टीमें दिल्ली के 11 जिलों में काम करेंगी। इनमें 33 आईएएस व 33 दानिक्स शामिल हैं। जिला मजिस्ट्रेट, एसडीएम सहित अन्य अधिकारी उनके निर्देशन में काम करेंगे।जिला अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को पक्के भवन में शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। शिविरों में अभी करीब 25478 लोग हैं। एनडीआरएफ की 18 टीमें काम कर रही हैं।
45 छात्र-छात्राओं को बचाया
बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। आईटीओ और कश्मीरी गेट इलाके से 45 छात्र-छात्राओं को निकाला गया। छात्रों ने पुलिस और दमकल विभाग से मदद मांगी थी। आईटीओ स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में भारतीय सांख्यिकी सेवा की ट्रेनिंग के लिए पहुंचे छात्र बाढ़ में फंस गए थे। शुक्रवार को सभी किसी तरह हॉस्टल में ही रहे, लेकिन शनिवार को पानी नहीं उतरा तो उन्होंने दमकल विभाग से मदद मांगी।
मौके पर पहुंचे दमकल कर्मियों ने सभी को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि सुबह करीब 11:20 बजे कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि आईटीओ में कुछ छात्र पानी में फंसे हैं। इसके बाद कनॉट प्लेस के स्टेशन ऑफिसर नितिन लोहचब टीम के साथ वहा पहुंचे। छात्र पीछे की ओर बने हॉस्टल में फंसे थे। इसके बाद हॉस्टल के गेट पर दमकल की गाड़ी लगा दी गई।
छात्राओं को दमकल की गाड़ी के केबिन और छात्रों को ऊपर बिठा लिया गया। बाद में सभी को मंडी हाउस स्थित गेस्ट हाउस पर छोड़ दिया गया। छात्रों ने बताया कि यह 15 दिनों की ट्रेनिंग के लिए आए हुए हैं। इधर, उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी ने बताया कि शनिवार दोपहर एक बजे कश्मीरी गेट पुलिस को सूचना मिली कि यमुना बाजार के गुरुकुल संस्थान में छात्र फंसे हैं। एनडीआरएफ की मदद से नाव में 12 छात्रों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
अब मिट्टी और गाद की भरमार
यमुना का जलस्तर कम होने के बाद बाहरी रिंग रोड व रिंग रोड पर कई जगह बाढ़ का पानी उतर गया है, मगर अब यहां मिट्टी व गाद की भरमार है और वाहनों का आवागमन असंभव है। पीडब्ल्यूडी ने यहां से मिट्टी व गाद हटाना शुरू कर दी है। मशीनों से पानी डालने के साथ-साथ झाड़ू व फावड़े से सफाई की जा रही है।
यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने पर सिग्नेचर ब्रिज से लेकर चंदगीराम अखाड़े तक बाहरी रिंग रोड और चंदगीराम अखाड़े से मिलेनियम पार्क तक रिंग रोड जगह-जगह पानी में डूब गया था। हालांकि अब यहां कई जगह पानी पूरी तरह उतर गया है। वैसे रिंग रोड पर निगम बोध घाट के सामने, सलीम गढ़ किले के अंडरपास व मंकी ब्रिज के नीचे अभी भी कई फीट पानी भरा हुआ है। ऐसा लग रहा है कि यहां पानी खुद कम नहीं होगा। इसे निकालना ही पड़ेगा। हालांकि इसे निकाले जाने की अभी पहल नहीं की गई है।
चंदगीराम अखाड़े के सामने सड़क धंसी : बाढ़ के पानी से चंदगीराम अखाड़े के सामनेे सड़क धंस गई है। पुलिस ने सड़क धंसने के हिस्से को बैरीकेड लगाकर कवर कर दिया है। अभी इस सड़क को दुरूस्त करने की कवायद शुरू नहीं हुई है। मानसून के दौरान सड़क धंसने की यह पांचवीं घटना है।
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