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![बिजली उपभोक्ताओं से मनमानी वसूली: ग्रामीण कनेक्शन वालों से लिया जा रहा शहरी बिल Electricity consumers are giving more bill than charge in Uttar Pradesh.](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/04/27/750x506/rajasthan-electricity-expensive_1682560259.jpeg?w=414&dpr=1.0)
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
केस 1: मैनपुरी के बरनाहल के एक उपभोक्ता ने अचानक बिजली बिल बढ़ने की शिकायत की है। आरोप है कि उनका कनेक्शन ग्रामीण इलाके का है, लेकिन उससे बिजली बिल शहरी दर पर लिया जा रहा है। ऐसे में अचानक उसका बिजली काबिल जहां दो हजार आता था, वह चार से पांच हजार तक आने लगा है।
केस 2: जालौन के माधोगढ़ के उपभोक्ता प्रमोद कुमार ने भी शिकायत की है कि उसे करीब चार माह से अचानक पांच हजार के करीब बिजली बिल दिया जा रहा है, जबकि उसका कनेक्शन ग्रामीण इलाके का है।
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उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में ग्रामीण फीडर से शहरी दर पर बिजली बिल वसूली का मामला सामने आया है। ऐसे में उपभोक्ताओं से तय टैरिफ की अपेक्षा दोगुना बिजली का बिल वसूला जा रहा है। प्रदेश में शहरी और ग्रामीण इलाके के फीडर से जुड़े उपभोक्ताओं से अलग-अलग दर पर बिजली बिल वसूला जाता है। शहरी की अपेक्षा ग्रामीण इलाके की बिजली दर आधी है। इसके बाद भी गुपचुप तरीके से ग्रामीण फीडरों पर विद्युत आपूर्ति अधिक होने एवं एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) टाउन के नाम पर उस फीडर के उपभोक्ताओं की सप्लाई टाइप चेंज करके उनकी बिलिंग में शहरी टैरिफ की दर से बिल दिया जा रहा है।
यही वजह है कि 2016 में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने फैसला सुनाया था कि सिर्फ आपूर्ति घंटे बढ़ाए जाने के कारण किसी ग्रामीण पोषक पर शहरी दर लागू नहीं की जा सकती। आयोग के इस आदेश को 2018 में पावर कॉरपोरेशन ने सभी विद्युत वितरण निगमों को अनिवार्य रूप से लागू करने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी चोरी चुपके तमाम विद्युत वितरण निगम अलग-अलग तरीके से बिल वसूल रहे हैं।
बिजली दर: ग्रामीण टैरिफ न्यूनतम 3.30 रुपये प्रति यूनिट
शहरी टैरिफ न्यूनतम 5.50 रुपये प्रति यूनिट
मनमानी वसूली नहीं होने देंगे : वर्मा
राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि मैनपुरी जिले में ही पांच एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस) ग्रामीण फीडरों पर लगभग 15000 विद्युत उपभोक्ताओं की बिलिंग शहरी दर पर कर दी गई है। इनसे तीन माह से वसूली हो रही है। यही स्थिति अन्य जिलों में भी है। यह गैरकानूनी है। पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार, निदेशक वाणिज्य अमित श्रीवास्तव व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक अमित किशोर से बात की गई है। बढ़ी दर पर की गई वसूली के रुपये तत्काल वापस कराने व आपूर्ति श्रेणी में सुधार की मांग की गई है। यह पूरा मामला विद्युत नियामक आयोग आदेश के विपरीत है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल का कहना है कि बिजली दर निर्धारण में कई बातें शामिल होती हैं। जिस इलाके में उपभोक्ता रहता है, उसी आधार पर बिजली का दर तय किया जाता है। जहां तक इस केस का मामला है तो इसका परीक्षण कराएंगे। किसी भी उपभोक्ता से निर्धारित दर से ज्यादा बिजली बिल नहीं ली जाएगी।
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