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‘अमर उजाला’ ने किया पहला इंटरव्यू
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एक्स पर की मामले की विवेचना
इस बारे में बौद्धिक संपदा अधिकारों के जानकार मयूर पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पूरे मामले के कानूनी पहलू गिनाते हुए पूरा एक थ्रेड लिखा है। मयूर लिखते हैं, ‘इस बारे में अनिल शर्मा और मिथुन दोनों ने कॉपीराइट कानूनों के तहत सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया। ये कहना कि उत्तम सिंह की रचनाओं के अधिकार संगीत कंपनी के पास हैं, भी गलत है क्योंकि भले किसी रचनाकार ने म्यूजिक कंपनी के दबाव या किसी अन्य कारणों से करार पर हस्ताक्षर कर रखे हों, कानून के मुताबिक उसके अपनी रचना के नैतिक अधिकार तब भी खत्म नहीं होते।’
नैतिक अधिकार खत्म नहीं होते
मयूर पुरी के मुताबिक, फिल्म ‘गदर एक प्रेम कथा’ की संगीत रचनाओं के अधिकार इसी के चलते इनके रचयिताओं उत्तम सिंह और आनंद बख्शी से कभी नहीं लिए जा सकते। म्यूजिक कंपनी के पास किसी गाने को फिर से बनाने के अधिकार हो सकते हैं लेकिन इससे उन्हें इस बात से छूट नहीं मिल जाती है कि वह ऐसा करने से पहले नए रचनाकारों और पुराने रचयिताओं का एक साझा करार धुन और शब्दों को फिर से इस्तेमाल करने के लिए न करें। आनंद बख्शी के उत्तराधिकारी राकेश बख्शी और उत्तम सिंह व नए रचनाकार मिथुन के बीच साझा करारा न होना इस मामले में बड़ी लापरवाही है।
मिथुन को सुनाई खरी खरी
सुपरहिट फिल्मों ‘ओम शांति ओम’ और ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के संवाद लेखक और दर्जनों लोकप्रिय गीतों के गीतकार मयूर कहते हैं, ‘ऐसे में उत्तम सिंह का दुखी होना और उनका इस बारे में सार्वजनिक रूप से अपनी बात कहना बिल्कुल जायज है।’ इसके बाद मयूर ने संगीतकार मिथुन को आड़े हाथों लेते हुए लिखा, ‘प्रिय मिथुन, अगर उत्तम जी ने तुम्हारे गाने पसंद भी किए तब भी उनकी रचना से उनका अधिकार म्यूजिक कंपनी छीन नहीं सकती। इस मामले में एक चार पक्षीय नया समझौता होना चाहिए था और तुम अपने एक वरिष्ठ के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहे।’
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