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![यूपी: 17 दिन तक अस्पताल के फ्रीजर में पड़ी रही डेड बॉडी, हरकत में आया प्रशासन, डिप्टी सीएम ने दिए जांच के आदेश Forgotten by keeping dead body in freezer for 17 days, Brajesh Pathak asked for explanation](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/09/21/lucknow_1695281145.jpeg?w=414&dpr=1.0)
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक।
– फोटो : amar ujala
विस्तार
ग्रेटर नोएडा स्थित गवर्नमेंट इन्स्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (जिम्स) में 17 दिन तक शव फीजर में रखकर भूलने के मामले को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। निदेशक से स्पष्टीकारण तलब करने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश भी दिए हैं।
बताया जाता है कि जिम्स के कर्मचारियों ने लापरवाही बरती और फीजर में शव रखकर भूल गए। शव 17 दिन तक फ्रीजर में पड़ा रहा। मामले की जानकारी मिलने पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने पूरे मामले में निदेशक से स्पष्टीकरण लेने का भी निर्देश दिया है।
परिवार से संपर्क नहीं किया गया
सेक्टर ईटा 1 में रहने वाले सोहन पाल (70) की ब्रेन हैमरेज से मौत के बाद 17 दिन तक शव अस्पताल के शव गृह में फ्रीजर में रखा था। परिवार के सदस्यों को मौत की सूचना न होने की वजह से शव नोएडा पीएम हाउस में नहीं ले जाया गया। एटा के रहने वाले तमन ने बताया कि वह 13 साल से सोहनपाल के साथ रह रहे थे। 22 अगस्त को उनकी तबीयत खराब होने पर GIMS अस्पताल में भर्ती कराया था। उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ था। ऐसे में डॉक्टरों की निगरानी में दो महीने चले उपचार के दौरान 23 सितंबर 2023 को वृद्ध की मौत हो गई थी। आरोप है कि मरने के बाद डेड बॉडी को फ्रीजर में रख दिया गया, जहां वह 17 दिन तक रखी रही। बाद में यह मामला खुला।
पोस्टमार्टम हाउस में वसूली के आरोप की जांच
कौशाम्बी के पोस्टमार्टम हाउस में कर्मचारी की धन वसूली का वीडियो वायरल हुआ है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी ने डिप्टी सीएमओ डॉ. एचपी मणि को जांच सौंप दी है। जांच के बाद दोषी पाये जाने पर संबंधित कर्मचारी के विरुद्ध बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। उधर, कानपुर के उर्सला अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर में रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल हुआ है।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आनंद मोहन वर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। इसमें चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शैलेंद्र तिवारी व वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. धीर सिंह को सदस्य बनाया गया है। जांच के बाद दोषियों के विरुद्ध समयबद्ध रूप से कार्यवाही की जाएग। जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में पूरी करनी है। इसी तरह बदायूं के जिला चिकित्सालय में सीटी स्कैन एवं एक्सरे जांच के लिए अवैध वसूली का वीडियो वॉयरल होने पर निदेशक डॉ. पुष्पा पन्त को मौके पर जाकर जांच करने व दो सप्ताह में आख्या उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है। इस घटना में संलिप्त स्वास्थ्यकर्मियों एवं दलालों के विरूद्ध कठोर एवं विधिक कार्यवाही की जाएगी।
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