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यूपी: सरकारी धन से नहीं होगा निजी सोसायटी की कालोनियों का विकास, बिल्डरों पर लगाम लगाने की तैयारी

यूपी: सरकारी धन से नहीं होगा निजी सोसायटी की कालोनियों का विकास, बिल्डरों पर लगाम लगाने की तैयारी

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Colonies of private societies will not be developed with government funds in up

निर्माण कार्य सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मलिन बस्ती या अविकसित क्षेत्र की आड़ में सरकारी धन से निजी सोसायटी और बिल्डरों द्वारा बसाई गई कॉलोनियों में विकास कार्य कराने के खेल पर लगाम लगाने की तैयारी है। इसके लिए सरकार ‘मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना’ में बदलाव करने जा रही है । इसमें प्रावधान किया जा रहा है कि अब निजी सोसाइटी या बिल्डर द्वारा बसाई गई बस्तियों में सरकारी धन से नाली निर्माण, पेयजल, मार्ग प्रकाश, इंटरलाकिंग जैसे विकास कार्य नहीं कराए जा सकेंगे। ऐसे में इसका असर उस बड़ी आबादी पर भी पड़ेगा, जो सोसायटी या कॉलोनाइजरों द्वारा बसाई गई कॉलोनियों में रह रही हैं।

दरअसल सरकार ने शहरी क्षेत्रों में मलिन बस्तियों और अल्पविकसित रिहायश वाले क्षेत्रों के विकास के लिए ‘मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना’ को शुरू किया था। इसके लिए अलग से बजट भी दिए जा रहे हैं। लेकिन निजी सोसायटी और प्लाटिंग करने वाले बिल्डर स्थानीय निकाय अधिकारियों से सांठगांठ करके खुद द्वारा बसाई गई कॉलोनियों का विकास करा रहे हैं। जबकि, उनके द्वारा विकसित कॉलोनियों में उन्हें खुद अवस्थापना और नागरिक सुविधाओं से जुड़े काम कराने चाहिए । 

निजी सोसायटी वाले और कॉलोनाइजर अधिकारियों को साध कर सरकारी पैसे से कॉलोनियों का विकास कराते हैं। स्थिति यह है कि मलिन बस्ती के विकास के नाम पर हर साल सरकारी खजाने से करोड़ो रुपये तो खर्च होते रहे, लेकिन इन बस्तियों की हालात जस की तस ही रही। इसके मद्देनजर सरकार ने अब योजना के प्रावधानों में इस पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है।

विभाग के एक उच्चपदस्थ सूत्र ने बताया कि नगर विकास विभाग द्वारा इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिस पर जल्द ही उच्चस्तर से अनुमोदन लेने के बाद आदेश जारी किया जाएगा। इस प्रावधान के लागू होने पर योजना के लिए जारी होने वाली धनराशि से सिर्फ नगर निकाय क्षेत्रों के अधीन बसी मलिन बस्तियों में ही विकास कार्य होंगे।

अब डीएम की देखरेख में तैयार होगी डीपीआर

इन बस्तियों के परियोजनाओं का डीपीआर अब डूडा के पीओ द्वारा सीधे निदेशालय नहीं भेजा जाएगा, बल्कि डीएम की देखरेख में तैयार किया जाएगा। जिला स्तरीय शासी निकाय की मंजूरी के बाद ही सूडा निदेशालय को भेजा जा सकेगा। निदेशक सूडा द्वारा प्रस्तावित कार्यों का सत्यापन करने के बाद ही प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा, जिसे शासन से मंजूरी दी जाएगी।

योजना के तहत मलिन बस्तियों में कराए जाएंगे ये प्रमुख काम

– जलभराव वाले रास्तों में सीसी रोड बनाएंगे

– सकरी गलियों में भी लगाएं जाएंगे इंटरलॉकिंग

– सकरी गलियों में भी दोनों तरफ जल निकासी के लिए नाली बनाना होगा अनिवार्य

– अपव्यय रोकने के लिए लोनिवि के शेड्यूल दर पर तैयार किया जाएगा आगणन

– कार्यस्थल पर बोर्ड लगाकर लिखना होगा परियोजना का डिटेल व पीओ के नाम व नंबर

– निकायों को देना होगा संबंधित परियोजना का किसी अन्य योजना में स्वीकृत न होने का प्रमाण पत्र

 

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